ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई?

ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई? (एक वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण) ब्रह्मांड की शुरुआत को लेकर मानव सभ्यता ने हजारों वर्षों से प्रश्न किए हैं – “हम कहाँ से आए?”, “यह सब कैसे शुरू हुआ?” इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए वैज्ञानिक, दार्शनिक और धार्मिक सभी क्षेत्रों ने प्रयास किया है। आधुनिक विज्ञान में ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझने के लिए सबसे व्यापक रूप से स्वीकार की गई थ्योरी को बिग बैंग थ्योरी कहा जाता है। 1. बिग बैंग थ्योरी: एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण बिग बैंग का अर्थ है "महाविस्फोट"। यह थ्योरी बताती है कि ब्रह्मांड की शुरुआत लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले एक अत्यंत सघन और गर्म बिंदु (Singularity) से हुई थी। उस समय ब्रह्मांड में न तो तारे थे, न आकाशगंगाएँ, न समय और न ही स्थान — सब कुछ एक ही बिंदु में संकुचित था। एक अचानक विस्फोट जैसा विस्तार हुआ, जिसे बिग बैंग कहा गया, और उसी से समय, स्थान, पदार्थ और ऊर्जा की उत्पत्ति हुई। 2. प्रारंभिक क्षण (The First Moments) बिग बैंग के बाद के पहले कुछ सेकंडों में बहुत तेज़ी से परिवर्तन हुए: 0 से 10⁻⁴³ सेकंड (Planck Time): यह ब्रह्मांड का सबसे प्रारंभिक क्षण था। इसमें गुरुत्वाकर्षण बल और क्वांटम बल एक साथ थे। इस समय के बारे में विज्ञान के पास स्पष्ट उत्तर नहीं है। 10⁻³५ सेकंड: ब्रह्मांड में एक तीव्र विस्तार (Inflation) हुआ, जिससे यह एक परमाणु से भी छोटा आकार से एक फुटबॉल जितने आकार में फैल गया। 1 सेकंड के अंदर: उप-परमाणु कण जैसे क्वार्क, इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रिनो आदि बनने लगे। 3 मिनट बाद: हल्के तत्व जैसे हाइड्रोजन और हीलियम बनने लगे — इसे बिग बैंग न्यूक्लियोसिंथेसिस कहते हैं। 3. ब्रह्मांड का विकास बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड लगातार फैलता रहा और तापमान घटता गया: 3.8 लाख साल बाद: इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रल परमाणु बनाने लगे, जिससे प्रकाश मुक्त हुआ। इस प्रकाश को आज हम कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन (CMB) के रूप में देख सकते हैं। 10 करोड़ साल बाद: गैसें जमा होकर पहले तारे और आकाशगंगाएँ बनने लगीं। बिलियनों सालों में: ब्रह्मांड में ग्रह, तारामंडल, ब्लैक होल और अंततः जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनने लगीं। 4. क्या ब्रह्मांड का कोई कारण था? यह प्रश्न वैज्ञानिक से अधिक दार्शनिक है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि बिग बैंग "स्वाभाविक" घटना थी — एक प्रकार की क्वांटम उत्थान (quantum fluctuation) जिसने स्वयं को विस्तार के रूप में प्रकट किया। दूसरी ओर, कुछ लोग मानते हैं कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के पीछे कोई "कारण" या "निर्माता" रहा होगा। यह क्षेत्र विज्ञान से हटकर आध्यात्म और धर्म के दायरे में आता है। 5. अन्य सिद्धांत और विचार मल्टीवर्स थ्योरी: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारा ब्रह्मांड केवल एक "बुलबुला" है, और ऐसे अनगिनत ब्रह्मांड मौजूद हो सकते हैं। साइकलिक ब्रह्मांड (Cyclic Universe): यह थ्योरी कहती है कि ब्रह्मांड फैलता है, फिर सिकुड़ता है, और फिर से बिग बैंग होता है – यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है। 6. भारतीय दृष्टिकोण भारत की प्राचीन ग्रंथों में भी ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर गहराई से विचार किया गया है: ऋग्वेद में “नासदीय सूक्त” (सृष्टि का रहस्य) में कहा गया है कि सृष्टि से पहले न समय था, न दिशा, न आकाश, न मृत्यु और न ही जीवन। एक अनंत चेतना थी, जिसने स्वयं को व्यक्त किया और सृष्टि बनी। पुराणों के अनुसार, ब्रह्मांड ब्रह्मा के “दिन” और “रात” के चक्र में बार-बार उत्पन्न और नष्ट होता है। यह विचार आधुनिक "साइकलिक थ्योरी" से काफी मिलता-जुलता है। 7. अभी के प्रश्न हालांकि बिग बैंग थ्योरी विज्ञान की सबसे मान्य व्याख्या है, फिर भी कई प्रश्न आज भी उत्तरहीन हैं: बिग बैंग से पहले क्या था? ब्रह्मांड का किनारा कहाँ है? डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का असली स्वरूप क्या है? इन सवालों के उत्तर विज्ञान अभी खोज रहा है। निष्कर्ष ब्रह्मांड की शुरुआत एक अत्यंत रहस्यमय घटना है, जिसे हम बिग बैंग थ्योरी के माध्यम से कुछ हद तक समझ पाए हैं। लेकिन अभी भी कई रहस्य हैं जो विज्ञान की सीमाओं के बाहर हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर विचार करते समय यह स्पष्ट होता है कि यह केवल एक वैज्ञानिक विषय नहीं, बल्कि एक गहरा दार्शनिक और आध्यात्मिक विषय भी है। ब्रह्मांड की शुरुआत का अध्ययन केवल ब्रह्मांड को समझने के लिए नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व को समझने के लिए भी आवश्यक है।

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