भारती झा की नई वेब सीरीज 'शतिर' का दूसरा भाग रिलीज़ हो गया है, और किसान की मेहनत की कहानी
वेब सीरीज 'सास' में काम कर रहीं भारती झा की वेब सीरीज एक घरेलू ड्रामा और थ्रिलर है जो रिश्ते की परतों और धोखे की गोलियों को उजागर करता है।
कहानी आरंभ में होती है यह अजय की और उनकी खूबसूरत पत्नी कविता के शांत-शांत बैठे जीवन की। बता दें कि दोनों एक मध्यम वर्गीय परिवार में निवास करते हैं जहां रिश्तों की गरिमा और सामाजिक मर्यादा को बहुत जोर देते हैं। किन्तु उनके पड़ोस में रहने वाला सुशील, एक अजगर
सुशील धीरे धीरे कविता की तरफ आने की कोशिश करता है वह अपने मधुर वाणी और बनावटी सहानुभूति से कविता का भरोसा जीतने की कोशिश करता है लेकिन यह तो सिर्फ दिखावा है – सुशील के लिए कुछ और ही होता है वह अजय और कविता के रिश्ते में फाड़ डालने का एक पुराना
भारती झा ने कविता के किरदार को बहुत ही दमदारия तरीके से जीवित किया है – परिवार की नई मां जिसे अपने ईर्ष्यालु पति की मजाक का सामना करना पड़ता है और बाहरी लोगों के षड्,现在 सीन।
सुशील के रूप में नकारात्मक किरदार ने दर्शकों का गुस्सा और उत्सुकता दोनों ले लिया।
अजय का किरदार वैसे इंसान की प्रस्तुति करता है जो अपने घर व रिश्तों को टूटने से बचाने की लड़ाई में बाध्य है।
सास’ एक इमोशनल एंड थ्रिलिंग स्टोरी, जिसमें दिखाया जाता है की एक अउंरृद्वाडी इंसान की चीगागरी और स्वार्थीपन एक परिवार की शांति के रोन मिटा सकता है। IF आपको रिश्तों के क्लासिक मनोविैग्यानिक पेचInSeconds dated रहस्य Emirates Romence पसंद हैं।
किसान की मेहनत :-गांव सुल्तानपुर अपने हरे-भरे खेतों और मेहनती लोगों के लिए जाना जाता था। लेकिन अगर कोई सबसे ज़्यादा सम्मानित और प्रेरणास्पद व्यक्ति था, तो वह था – रामदीन। लोग उन्हें प्यार से "महंती किसान" कहते थे। रामदीन न तो बहुत पढ़े-लिखे थे, न ही उनके पास बड़े संसाधन थे, लेकिन उनकी लगन, मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें गांव के बाकी किसानों से अलग बना दिया था।
बचपन से मेहनती
रामदीन का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने गरीबी देखी थी। उनके पिता खेतों में दिन-रात मेहनत करते थे, लेकिन फसल की सही कीमत न मिलने के कारण मुश्किल से गुजारा चलता था। छोटी उम्र में ही रामदीन ने समझ लिया था कि अगर कुछ बदलना है, तो खुद ही मेहनत करनी होगी। स्कूल से आने के बाद वह खेतों में काम करते और छुट्टियों में दूसरों के खेतों में मजदूरी भी करते।
नई सोच, नई शुरुआत
समय के साथ रामदीन जवान हुए और पिता की जगह उन्होंने खेतों की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली। गांव के बाकी किसान पारंपरिक तरीकों से खेती करते थे – बैल, हल और मौसम के भरोसे। लेकिन रामदीन कुछ नया करना चाहते थे। उन्होंने अपने सीमित पैसों से एक पुराना ट्रैक्टर खरीदा, और साथ ही खेती से जुड़ी किताबें पढ़नी शुरू कीं। जब गांव के लोग उन्हें पढ़ते देखते, तो हंसते और कहते, "पढ़कर क्या करेगा रामदीन, खेत तो हल से ही चलते हैं।"
लेकिन रामदीन ने हार नहीं मानी। उन्होंने जैविक खेती, ड्रिप इरिगेशन और फसल चक्र जैसे नए तरीकों को अपनाया। शुरुआत में नुकसान हुआ, पर धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई। जहां बाकी किसान एक ही फसल से सीमित कमाई करते थे, रामदीन साल में तीन फसलें उगाने लगे।
संघर्ष और सफलता
एक बार पूरे जिले में सूखा पड़ गया। कई किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। रामदीन ने सूखे से निपटने के लिए पहले से ही वर्षा जल संचयन और ड्रिप सिंचाई व्यवस्था कर रखी थी। उनके खेतों में हरियाली बनी रही। इस बार गांव वालों ने पहली बार उनकी बातों को गंभीरता से लिया।
धीरे-धीरे रामदीन ने अन्य किसानों को भी आधुनिक तरीकों से खेती सिखानी शुरू की। वह गांव में मुफ्त प्रशिक्षण देने लगे, बीज और खाद बांटने लगे और अपने अनुभव सबके साथ साझा करने लगे। जो लोग कभी उनका मज़ाक उड़ाते थे, वही अब उन्हें गुरु मानने लगे।
परिवार और मूल्यों की सीख
रामदीन का एक छोटा सा परिवार था – पत्नी गीता, बेटा मोहन और बेटी सरिता। उन्होंने अपने बच्चों को भी मेहनत और सच्चाई का पाठ पढ़ाया। मोहन ने कृषि विज्ञान में डिग्री ली और अपने पिता के साथ मिलकर "हरित खेत" नाम की एक संस्था शुरू की, जो गांव के किसानों को तकनीकी सहायता देती थी।
रामदीन की ईमानदारी का एक किस्सा गांव में बहुत मशहूर था। एक बार मंडी में व्यापारी ने गलती से उन्हें दोगुना भुगतान कर दिया। रामदीन ने पैसे वापस लौटाए। व्यापारी ने हैरान होकर पूछा, "इतने पैसे देखकर भी तुमने वापस क्यों किए?" रामदीन ने मुस्कराकर कहा, "मेहनत की कमाई में ईमान की खुशबू होती है, बेईमानी से पेट भर सकता है, आत्मा नहीं।"
राज्य स्तर पर पहचान
रामदीन की मेहनत और कार्यशैली की खबर धीरे-धीरे बाहर तक पहुंचने लगी। राज्य सरकार ने उन्हें "उत्कृष्ट किसान पुरस्कार" से सम्मानित किया। उन्हें बड़े मंचों पर बुलाया जाने लगा, जहां वह अपने अनुभव साझा करते। लेकिन इस सबके बावजूद वह जमीनी स्तर पर बने रहे – खेत में मिट्टी से सने हाथ, और चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक।
अंतिम शब्द
रामदीन की कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि उस आत्मा की है जो कभी हार नहीं मानती। उन्होंने दिखा दिया कि खेती सिर्फ मिट्टी से अन्न उगाने का काम नहीं, बल्कि ज्ञान, धैर्य और जुनून से जीवन बदलने का माध्यम भी हो सकती है।
आज सुल्तानपुर में जब कोई बच्चा पूछता है – "किसान बनकर क्या कर सकते हैं?" – तो उत्तर होता है: "रामदीन जैसा कुछ भी।"
सीख:
"महंती किसान" रामदीन की कहानी हमें सिखाती है कि संसाधन कम हों, तो चिंता मत करो – अगर हौसला बड़ा हो, तो रास्ता अपने आप बनता है। मेहनत, ईमानदारी और नई सोच – यही किसी भी किसान को 'महान' बनाती है।
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