मूवी में ट्रेन की शूटिंग किस प्रकार की जाती है – हिंदी में

मूवी में ट्रेन की शूटिंग किस प्रकार की जाती है जब भी हम किसी फिल्म में ट्रेन का रोमांचक सीन देखते हैं — चाहे वो रोमांटिक गाना हो, थ्रिलर एक्शन सीक्वेंस या फिर भावुक विदाई — हमें यह जानने की उत्सुकता होती है कि आखिरकार ट्रेन में शूटिंग कैसे की जाती है? ट्रेन की शूटिंग आसान नहीं होती, बल्कि इसमें कई तकनीकी, कानूनी और रचनात्मक पहलुओं की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि फिल्मों में ट्रेन की शूटिंग किस प्रकार की जाती है। 1. पूर्व-निर्धारित योजना और परमिशन (Planning & Permissions) ट्रेन में शूटिंग करने से पहले फिल्म निर्माताओं को संबंधित रेलवे विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। भारत में यह कार्य भारतीय रेलवे के माध्यम से किया जाता है। निर्माता एक आवेदन जमा करते हैं जिसमें वह बताते हैं: किस स्टेशन पर शूटिंग होगी कितने समय के लिए ट्रेन चाहिए कितनी यूनिट होगी शूटिंग के प्रकार (स्टंट, डायलॉग, गाना आदि) रेलवे विभाग सुरक्षा, समय और पब्लिक ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए अनुमति देता है और एक शुल्क भी लिया जाता है। 2. स्पेशल ट्रेन या सेट ट्रेन फिल्म की आवश्यकताओं के अनुसार दो विकल्प होते हैं: (क) रियल ट्रेन का उपयोग: निर्माता असली ट्रेन को बुक करते हैं। यह ट्रेन आमतौर पर खाली होती है और शूटिंग स्पॉट (जैसे एक स्टेशन या रेल मार्ग) पर निर्धारित समय के लिए चलती है। कुछ बार एक पूरा डिब्बा किराए पर लिया जाता है। (ख) सेट ट्रेन (फेक ट्रेन): अगर सुरक्षा या सुविधा की दृष्टि से असली ट्रेन संभव न हो, तो मुंबई जैसे शहरों में स्टूडियो में नकली ट्रेन का सेट बनाया जाता है, जैसे कि: रामोजी फिल्म सिटी (हैदराबाद) फिल्म सिटी (मुंबई) ND Studios (करजत) यह सेट रीयल ट्रेन जैसा होता है, लेकिन कैमरा, लाइटिंग, और साउंड की दृष्टि से अधिक सुविधाजनक होता है। 3. शूटिंग के दौरान सुरक्षा उपाय (Safety Measures) ट्रेन में शूटिंग के दौरान सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है। खासकर जब एक्शन सीन या स्टंट शामिल हों, तब: प्रशिक्षित स्टंट कलाकारों का प्रयोग किया जाता है रेलवे अधिकारी ऑन-लोकेशन मौजूद रहते हैं किसी भी खतरे से बचने के लिए प्राथमिक चिकित्सा सुविधा रखी जाती है चलती ट्रेन में शूटिंग करने से पहले ट्रेन की गति कम की जाती है या विशेष पटरियों पर की जाती है जहाँ कोई ट्रैफिक न हो 4. टेक्निकल चुनौतियाँ और समाधान ट्रेन में शूटिंग करना तकनीकी दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण होता है: (क) कैमरा मूवमेंट: ट्रेन के संकरे डिब्बों में कैमरा सेट करना मुश्किल होता है, इसलिए अक्सर क्रेन, ड्रोन, या छोटी कैमरा सेटअप का उपयोग किया जाता है। (ख) लाइटिंग: चलती ट्रेन में नैचुरल लाइट बदलती रहती है, जिससे लाइट बैलेंस करना मुश्किल होता है। इसलिए कृत्रिम लाइटिंग का सहारा लिया जाता है। (ग) साउंड रिकॉर्डिंग: रेल की आवाज बहुत तेज होती है। इसलिए डायलॉग को डबिंग स्टूडियो में फिर से रिकॉर्ड किया जाता है। 5. प्रसिद्ध ट्रेन सीन के उदाहरण भारत में कई मशहूर फिल्मों में ट्रेन सीन ने इतिहास रचा है: डीडीएलजे (1995): शाहरुख खान और काजोल का क्लासिक क्लाइमैक्स सीन – चलती ट्रेन में प्यार का इज़हार शोले (1975): जय और वीरू का ट्रेन से जुड़ा एक्शन सीन चेन्नई एक्सप्रेस (2013): कई सीन असली ट्रेन और स्टेशन पर शूट किए गए परिणीता (2005): कोलकाता के हावड़ा ब्रिज और ट्रेन स्टेशनों की सुंदर फिल्मांकन 6. बैकग्राउंड और VFX का उपयोग कुछ आधुनिक फिल्मों में ट्रेन की सीन के लिए Visual Effects (VFX) का भी सहारा लिया जाता है। ट्रेन को कंप्यूटर ग्राफिक्स से बनाया जाता है, जिससे जोखिम और लागत दोनों कम होती हैं। अभिनेता स्टूडियो में ग्रीन स्क्रीन के सामने एक्ट करते हैं और बाद में बैकग्राउंड में ट्रेन डाली जाती है। 7. रेलवे के लिए एक कमाई का जरिया फिल्म निर्माताओं से मिलने वाला शुल्क रेलवे के लिए आय का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा, रेलवे फिल्मों के माध्यम से अपने स्थानों का प्रचार भी करता है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। निष्कर्ष: फिल्मों में ट्रेन की शूटिंग एक रोमांचक लेकिन जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए बहुत सारी योजना, परमिशन, तकनीकी जानकारी और सुरक्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन जब यह सब सफलतापूर्वक किया जाता है, तो दर्शकों को एक ऐसा दृश्य देखने को मिलता है जो उन्हें हमेशा के लिए याद रह जाता है। चाहे वो "राज छोड़ो ना यार" कहती हुई कोई अभिनेत्री हो या चलती ट्रेन से छलांग लगाता हीरो — हर सीन के पीछे दर्जनों लोगों की मेहनत और महीनों की योजना छुपी होती है।

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